सेहत बनाम राजस्व

पिछले दिनों हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं और जागरूक लोगों द्वारा मुहिम चलायी जाती रही है कि गांव में शराब के ठेके न खुलें। सरकार ने भी इस सोच के साथ सहमति जतायी थी कि ग्राम पंचायतें यदि चाहेंगी तो गांव में शराब का ठेका नहीं खुलेगा। इसके चलते 872 ग्रामसभाओं ने गांव में शराब की दुकान न खोलने देने के लिये अर्जी दी थी। सरकार ने हाल ही में घोषित आबकारी नीति में स्वीकार किया। है कि सात सौ ग्रामसभाओं में शराब की दुकान नहीं खुलेंगी।निष्कर्ष यही है कि इन गांवों के लोग महसूस कर रहे हैं कि शराब के घातक परिणाम सामने आने लगे हैं। बहरहाल, वीरवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक के बाद वर्ष 2020-21 के लिये जो आबकारी नीति सामने आयी है, वह शराब के बाजार को विस्तार देती है। कहीं न कहीं सरकार अपने वित्तीय संसाधन जुटाने के क्रम में शराब के जरिये राजस्व बढ़ाने के प्रयास में है। सरकार ने फैसला किया है कि अतिरिक्त टैक्स चुकाकर शॉपिंग मॉल्स में भी शराब की दुकानें खुल सकेंगीदिल्ली की तर्ज पर बार एक बजे तक खुले रह सकेंगे। यदि विक्रेता घंटे बढ़ाना चाहें तो अतिरिक्त पैसा देकर वे ऐसा कर सकते हैं। सरकार ने एक ओर जहां देसी शराब का उत्पादन व बिक्री कम करने का प्रयास किया है, वहीं अंग्रेजी शराब के दामों को बढ़ाया है। मैरिज पैलेस में शराब परोसने के लिये ऑनलाइन लाइसेंस बनवाकर अतिरिक्त टैक्स चुकाना होगा। दूसरी ओर घर में शराब का स्टॉक रखने की अनुमति को जारी रखते हुए लाइसेंस फीस बढ़ाकर इसकी संख्या दुगनी की जा सकेगी। निसंदेह ड्रंकन ड्राइव की प्रवृत्ति को नियंत्रित करने के लिये घर में स्टॉक रखने की अनुमति समझ में आती है, मगर कहीं न कहीं यह शराब के सेवन को बढ़ावा देने वाला कदम भी कहा जा सकता है। निसंदेह, इसमें दो राय नहीं कि आज शराब राज्य सरकारों की आय का बड़ा स्रोत है और सरकारें जब-तब इनके दाम बढ़ाकर अपने वित्तीय घाटे को कम करने का प्रयास करती हैं। निसंदेह विकास योजनाओं के लिये सरकार इसके जरिये धन जुटाती है। मगर वे कर्णफूल ही क्या जो कान फाड़ दे। सरकार को शराब के लगातार बढ़ते सेवन औरउसके दुष्परिणामों पर भी लोककल्याण की भावना के मद्देनजर विचार करना चाहिए। निसंदेह शराबबंदी एक काल्पनिक प्रश्न है। इस प्रयोग की विफलता को हरियाणा ने गहरे तक महसूस किया है। शराबबंदी से एक ऐसा माफिया तंत्र खड़ा हो गया था जो सरकार के हिस्से का मुनाफा कमाने लगा था। इसके बावजूद कहीं न कहींऐसे प्रयास भी होने चाहिए जो इस प्रवृत्ति को हतोत्साहित करें। जागरूकता के स्तर पर भी और शराब की बिक्री के स्तर पर भी।?हाल के दिनों में बड़े अपराधों की पृष्ठभूमि में शराब कीभूमिका रही है। कई अपराधियों ने ये दलीलें दी हैं कि शराब के सेवन के बाद उन्होंने अपराध को अंजाम दिया। ऐसे ही देर रात बार खुलने के भी अपने खतरे हैं। चंडीगढ़ समेत कई महानगरों में देर रात बारों के बाहर गोलीबारी की तमाम घटनाएं सामने आती हैंभारतीय